हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti)
चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है। चैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म हुआ था। अत: इस तिथि को लोग हनुमान जयंती के रूप में मनाते हैं। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है। हनुमान जी को भोलेनाथ के ग्यारहवें रुद्र का अवतार कहा गया है।
पूजन सामग्री:- (Pujan Saamagree)
• हनुमान जी की मूर्ति या चित्र
• लाल वस्त्र- 2 (चौकी पर बिछाने के लिये और हनुमान जी के लिये)
• लाल पुष्प
• अक्षत
• गुलाब अथवा कमल के फूल
• पुष्पमाला
• लाल चंदन
• सिंदूर
• धूप
• दीप
• घी
• अक्षत
• पंचामृत (गाय का कच्चा दूध,दही,घी,शहद एवं शक्कर मिलाकर पंचामृत बनायें)
• गंगाजल
• ऋतुफल
• नैवेद्य (बूंदी अथवा बेसन के लड्डु, गुड़)
• ताम्बूल (पान के पत्ते को पलट कर लौंग,इलायची,सुपारी तथा कुछ मीठा रखकर , ताम्बूल बना लें)
• यज्ञोपवीत
• कपूर
• आरती के लिये थाली
• केले का पत्ता
• पान का पत्ता
• चौकी या लकड़ी का पटरा
• आसन (ऊन का आसन)
हनुमान जी की पूजा विधि - (Hanuman ji ki Pujan Vidhi)
प्रात:काल ऊठकर नित्य क्रम कर स्नान कर लं। स्वच्छ वस्त्र धारण करें।पूजा गृह को साफ कर गंगा जल से पवित्र कर लें। साधक ऊन के बने आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जायें। लकड़ी के पटरे अथवा चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति अथवा चित्र स्थापित करें।सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
सबसे पहले पंचोपचार विधि से गणेश जी की पूजा करें।
उसके बाद भगवान श्री रामचंद्र और सीता जी की पूजा करें। उसके बाद हनुमान जी की पूजा शुरु करें।
हनुमान पूजा विधि प्रारम्भ - (Hanuman Pujan Vidhi Starts)
ध्यान: हाथ में अक्षत एवं लाल फूल लेकर हनुमान जी का ध्यान करें और निम्न मंत्र का उच्चारण करें:-
अतुलितबलधामम् हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुम् ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानम् वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तम् वातजात्तम् नमामि॥
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि समर्पयामि॥
इसके पश्चात् अक्षत तथा पुष्प हनुमान जी के पास छोड़ दें।
आवाहन:-
हाथ में फूल लेकर निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुये हनुमान जी का आवाहन करें:-
उद्यत्कोट्यर्कार्कसंकाशम् जगत्प्रक्षोभकारकम्।
श्रीरामड्घ्रिध्याननिष्ठम् सुग्रीवप्रमुखार्चितम्॥
विन्नासयन्तम् नादेन राक्षसान् मारुतिम् भजेत्॥
ॐ हनुमते नम: आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ॥
हाथ के पुष्प हनुमानजी पर अर्पित करें।
आसन:
हाथ में गुलाब का फूल अथवा कमल का फूल लेकर निम्न मंत्र के द्वारा हनुमान जी को आसन समर्पित करें:
तप्तकांचन वर्न्णाभम् मुक्तामणिविराजितम्।
अमलम् कमलम् दिव्यमासनम् प्रतिगृह्ताम्॥
हाथ क पुष्प हनुमानजी को अर्पित कर दें।
पाद्यम, अर्घ्यम, आचमनीयम :-
चम्मच अथवा फूल से जल लेकर निम्न मंत्र को बोलते हुये भूमि पर अथवा किस पात्र में हनुमानजी को पाद्य धोने के लिये हाथ धोने के लिये और आचमन के लिये तीन बार जल समर्पित करें।
ॐ हनुमते नम:, पाद्यम् समर्पयामि॥
अर्घ्यम समर्पयामि। आचमनीयम् समर्पयामि॥
स्नान:
इसके बाद हनुमान जी को पंचामृत, गंगाजल तथा शुद्ध जल अर्पित करते हुये स्नान करवायें:-
ॐ हनुमते नम:, स्नानम् पंचामृत समर्पयामि॥
ॐ हनुमते नम:, स्नानम् गंगाजल समर्पयामि॥
ॐ हनुमते नम:, शुद्धोधक स्नानम् जलम् समर्पयामि॥
वस्त्रम् :-
हाथ में लाल वस्त्र अथवा मौली लेकर निम्न मंत्र के द्वारा हनुमान जी को वस्त्र समर्पित करें:-
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणम् परम्।
देहालकरणम् वस्त्रमत: शांति प्रयच्छ मे॥
ॐ हनुमते नम:, वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि ॥
यज्ञोपवीत:-
हाथ में यज्ञोपवीत लेकर निम्न मंत्र के द्वारा हनुमान जी को यज्ञोपवीत समर्पित करें:-
ॐ हनुमते नम:, यज्ञोपवीतं समर्पयामि ॥
पुष्प:
हनुमान जी को पुष्प समर्पित करें: -
ॐ हनुमते नम:, पुष्पम् समर्पयामि ॥
पुष्पमाला:-
हनुमान जी को पुष्पमाला समर्पित करें: -
ॐ हनुमते नम:, पुष्पमाला समर्पयामि ॥
सिंदूर:-
हनुमान जी को सिंदूर समर्पित करें: -
ॐ हनुमते नम:, सिंदूरम् समर्पयामि ॥
चंदन:-
हनुमान जी को चंदन समर्पित करें: -
ॐ हनुमते नम:, चंदनम् समर्पयामि ॥
धूप-दीप:-
धूप और घी का दीप जला कर हनुमान जी को धूप-दीप अर्पित करें:-
साज्यम् च वर्तिसन्युक्तम् वह्निना योजितम् मया।
दीपम् गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम्॥
भक्त्या दीपम् प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।
त्राहि माम् निरयाद् घोराद् दीपज्योतिर्नमोस्तु ते ॥
ॐ हनुमते नम:, दीपं दर्शयामि ॥
नैवेद्यम्:-
केले के पत्ते अथवा किसी थाली या कटोरी में पान का पत्ता रखकर, उसपर नैवेद्य रख के हनुमान जी को अर्पित करें। नैवेद्य में चूरमा,घी में बने बूंदी के लड्डु अथवा बेसन के लड्डु अर्पित करें। गुड़ भी अर्पित कर सकते हैं।
ॐ हनुमते नम:, नैवेद्यम् समर्पयामि ॥
ऋतुफलम:-
उसके बाद ऋतुफल समर्पित करें:-
ॐ हनुमते नम:, ऋतुफलम् समर्पयामि ॥
ताम्बूलम:-
हनुमान जी को ताम्बूल अर्पित करें:-
ॐ हनुमते नम:, ताम्बूलम् समर्पयामि ॥
आचमनीयम:-
आचमन के लिये जल समर्पित करें:-
ॐ हनुमते नम:, आचमनीयम समर्पयामि ॥
दक्षिणा:-
पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिये निम्न मंत्र के साथ सामर्थ्यानुसार दक्षिणा समर्पित करें:
ॐ हिरण्यगर्भगर्भस्थम् देवबीजम् विभावसोंवसों:।
अनन्तपुण्यफलदमत: शांति प्रयच्छ मे॥
ॐ हनुमते नम: , पूजा साफल्यार्थं साफल्यार्थं द्रव्य दक्षिणां समर्पयामि॥
आरती:-
इसके बाद थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर हनुमान जी की आरती करें:-
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
दे बीड़ा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे। अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
सुर नर मुनि आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
॥ आरती कीजै हनुमान.. ॥
॥ इति श्री हनुमान आरती ॥
आरती के बाद हाथ में जल लेकर आरती का प्रोक्षण करें। सभी देवताओं को आरती दें। उसके बाद उपस्थित जनों को आरती दें एवं स्वयं भी लें।
पुष्पांजलि:-
हाथ में पुष्प लेकर निम्न मंत्र के द्वारा पुष्पांजलि समर्पित करें:-
ॐ हनुमते नम: , पुष्पांजलि समर्पयामि॥
क्षमा प्रार्थना:-
दोनो हाथ जोड़कर हनुमान जी से प्रार्थना करें – “हे पवनसुत,केसरीनंदन, रामभक्त हनुमान, मैं मंत्र-पुजा विधि नहीं जानता, मैंने आपकी पूजा अपने शक्ति के अनुसार की है ,आप उसी से प्रसन्न होइये और यदि पूजा में कोई त्रुटि रह गई हो तो उसके लिये अपना भक्त समझ कर क्षमा कर दिजिये। ”