सहस्त्रनाम पाठ
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रक्षोऽग्निदाहो ब्रह्मेश: श्रीधरो भक्तवत्सल:।
मेघनादो मेघरूपो मेघवृष्टिनिवारक:॥92॥
694.रक्षोऽग्निदाह: - राक्षसों को अग्नि में जलादेनेवाले ।
695.ब्रह्मेश: - ब्रह्मा के ऊपर शासन करनेवाले ।
696.श्रीधर: - ऐश्वर्य धारण करनेवाले ।
697.भक्तवत्सल: - भक्तों पर कृपा करनेवाले ।
698.मेघनाद: - मेघ के समान गर्जनेवाले ।
699.मेघरूप: - मेघ के समान रूपवाले ।
700.मेघवृष्टिनिवारक: - मेघ की वृष्टि को रोकनेवाले ।
मेघजीवनहेतुश्च मेघश्याम: परात्मक:।
समीरतनयो योद्ध्या नृत्यविद्याविशारद:॥93॥
701.मेघजीवनहेतु: - मेघों के जीवन के हेतु समुद्रस्वरूप ।
702.मेघश्याम: - मेघ के समान श्याम वर्णवाले ।
703.परात्मक: - परमात्मस्वरूप ।
704.समीरतनय: - वायु- देवता के पुत्र ।
705.योद्धा: - शत्रुओं के साथ लड़नेवाले ।
706.नृत्यविद्याविशारद: - नृत्यकला में विशारद ।
अमोघोऽमेघदृष्टिश्च इष्टदोऽरिष्टनाशन:।
अर्थोऽनर्थापहारी च समर्थो रामसेवक:॥94॥
707.अमोघ: - कभी व्यर्थ न होनेवाले ।
708.अमोघदृष्टि: - जिनकी कृपादृष्टि कभी व्यर्थ नहीं जाती ।
709.इष्टद: - मनोवाञ्छित वस्तु देनेवाले ।
710.अरिष्टनाशन: - विघ्ननाशक ।
711.अर्थ: - अर्थस्वरूप ।
712.अनर्थापहारी: - अनर्थ को दूर करनेवाले ।
713.समर्थ: - सर्वथा सामर्थ्यवान् ।
714.रामसेवक: - श्रीराम के सेवक ।
अर्थिवंद्योऽसुराराति: पुण्डरीकाक्ष आत्मभू:।
संकर्षणो विशुद्धात्मा विद्याराशि: सुरेश्वर:॥95॥

715.अर्थिवन्द्य: - अर्थियों के द्वारा वन्दनीय ।
716.असुराराति: - असुरों के शत्रु।
717.पुण्डरीकाक्ष: - श्वेतकमल के समान नेत्रवाले अर्थात् विष्णुस्वरूप ।
718.आत्मभू: - स्वेच्छासे प्रकट होनेवाले ।
719.सङ्कर्षण: - शत्रुओं को कर्षण करनेवाले बलदेवस्वरूप ।
720.विशुद्धात्म: - परम पवित्रस्वरूप ।
721.विद्यारात्रि: - विद्या की राशि – पूर्ण विद्वान ।
722.सुरेश्वर: - देवताओं के स्वामी ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
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