पंच मुखि हनुमत्कवचं | Panch Mukhi Hanumat Kavach in Hindi
यह अत्याधिक तीव्र व शीघ्र प्राभावी कवच है जो दुर्लभ ग्रंथ 'सुदर्शन संहिता' से लिया गया है । यह संहिता ग्रंथ हनुमान जी के साधको के लिये एक कल्पवृक्ष के समान है । इस कवच का एक पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है । दो पाठ करने से कुटुम्ब की वृद्धि होती है । तीन पाठ करने से धन लाभ होता है । चार पाठ करने से रोगों का शमन होता है । पांच पाठ करने से वशीकरण होता है । छह पाठ करने से महामोहन होता है । सात पाठ करने से सौभाग्य उदय होता है । आठ पाठ करने से अभिलाषा पूर्ण होती है । नौ पाठ करने से राज्य सुखोपभोग होता है । दस पाठ करने से ज्ञान दृष्टि बढ़ती है । ग्यारह पाठ करने से क्या है जो नही होता है ।
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॥ विनियोग मंत्र: ॥
दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पूष्प,सुगंधित लेकर निम्नलिखित विनियोग मंत्र का पाठ करके वसुंधरा पर डाल दें।
॥ ईश्वर उवाच ॥
ईश्वर ने कहा
हे सर्वांग सुंदरी! !देवताओं के भी देवता भगवान श्री शिव जी ने अपने प्रिय हनुमान जी का जिस प्रकार ध्यान (साधन) किया था। वह मैं तुम्हे बताता हुं। जरा सावधानी से श्रवण करना ।
पांच मुख वाले महा भयंकर पंद्रह नेत्र वाले दस भुजायुक्त श्री हनुमानजी भक्तों की समस्त कामनायें पूर्ण करते हैं।
पूर्व दिशा वाला मुख करोड़ो भास्करो के समान उज्जवल कांतिमयी है है। इनके दांत भयंकर है। क्रोध के कारण इनकी भ्रिकुटी चढी हुई है। इनका श्री मुख वानर स्वरूपा है।