एक लाचार स्त्री की बद्दुआ और उसके परिणाम
रामायण हिन्दू धर्म का मुख्य ग्रन्थ है। परन्तु रामायण की सम्पूर्ण गाथा के बारे में केवल कुछ लोग ही जानते हैं। तुलसीदास जी द्वारा लिखी गयी श्री रामचरित मानस और ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी गयी रामायण में ऐसे अनेक तथ्य हैं जिनका जिक्र कम ही सुनने को मिलता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
१. जब रावण विश्व विजय के लिए स्वर्ग लोक पहुंचा। तब उसे वहां एक रम्भा नाम की अप्सरा मिली। उसे देखकर रावण उस पर मोहित हो गया और रावण ने उसे पकड़ लिया। रम्भा ने रावण से कहा कि मैं आपके बड़े भाई के पुत्र नलकुबेर के लिए हूँ। इसलिए आपकी पुत्रवधू के समान हूँ। परन्तु रावण ने उसकी एक न सुनी। इस कारण क्रोध में आकर कुबेर के बेटे नलकुबेर ने रावण को श्राप दिया कि यदि उसने कभी किसी स्त्री को उसकी आज्ञा के विरुद्ध स्पर्श किया तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएँगे।
२. रावण के विनाश के पीछे शूर्पणखा का हाथ था। एक युद्ध के दौरान रावण ने शूर्पणखा के पति “विद्युतजिव्ह” का वध कर दिया था। जिस पर शूर्पणखा ने रावण को मन ही मन श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा नाश होगा। शूर्पणखा की नाक कान लक्ष्मण द्वारा काटने पर ही गुस्साए रावण ने सीता का हरण किया और फिर रावण का श्री राम द्वारा वध हो गया।
३. रामायण में बताया गया है कि एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था। उस समय रास्ते उसे वेदवती नाम कि स्त्री मिली। वह भगवान विष्णु को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसे अपने साथ चलने के लिए कहा। वेदवती के मना करने पर रावण ने उसके बाल पकड़ कर उसे अपने साथ ले जाने की कोशिश की। परन्तु रावण के हाथ लगाते ही वेदवती ने रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही उसकी मृत्यु होगी और उसी क्षण उसने अपने प्राण त्याग दिए।
इस सत्य से तो हम सभी भली भांति अवगत हैं कि श्री राम ने रावण का वध किया था। कहा जाता है कि युद्ध के दौरान इंद्र देव ने अपना दिव्य रथ को राम जी के पास भेजा था, जिस पर बैठकर प्रभु राम ने रावण का वध किया।
विशेष , किसी भी परायी स्त्री पर कुदृष्टि एवं उसकी इच्छा के विरुद्ध बल प्रयोग कितना भयानक कर्म है ,यह इन तीन कथाओं में दर्शाया गया है ! अतः कोइ भी कुकर्म करने से पहले उसके परिणाम के बारे में विचार अवश्य करें ! इसे आजकल की भाषा में कहें तो मेरे व्यक्तीगल विचार से " एक लाचार स्त्री की बद्दुआ " कह सकते है !
इन सभी श्रापों का प्रभाव इतना शक्तिशाली था की प्रभु को स्वयं आकर अपराधी को दण्डित करना पड़ा !
परामर्श ,, ,,
आपके मन में केवल देविक अथवा सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति हो इसके लिए सात्विक आहार ही खाये ! याद रखे आपके अच्छे बुरे विचार ही आपका " आचरण" बनते है !
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