1000 Names of Hanuman Ji ( हनुमान जी के १००० नाम )
1. हनुमान्: – विशाल और टेढी ठुड्डी वाले ।
2. श्रीप्रद: - शोभा प्रदन करने वाले ।
3. वायुपुत्र: - वायु के पुत्र
4. रुद्र: - जो रुद्र के अवतार हैं (हनुमान जी एकादश रुद्र हैं)
5. अनघ: -पाप से रहित
6. अजर: - वृद्धावस्था से रहित
7. अमृत्य: - मृत्यु से रहित
8. वीरवीर: - वीरों में अग्रणी
9. ग्रामवास: - गाँवों में निवास करने वाले
10. जनाश्रय:- समस्त जनों को आश्रय प्रदान करने वाले
11. धनद: -धन धान्य देनेवाले
12. निर्गुण: -सतोगुण,रजोगुण एवं तमोगुण से रहित ।
13. अकाय: -भौतिक देह से रहित ।
14. वीर: - पराक्रमी ।
15. निधिपति: - नवनिर्धायों के स्वामी ।
16. मुनि: - वेद शास्त्रों के गूहार्थ के ज्ञाता ।
17. पिंगाक्ष: - पीले-पीले नेत्रों वाले ।
18. वरद: - मनोवांछित वरदान देने वाले ।
19. वाग्मी: - कुशल वक्ता ।
20. सीताशोकविनाशन: - सीता जी के शोक को मिटाने वाले ।
21. शिव: - मंगलमय ।
22. सर्व: -सर्वस्वरूप ।
23. पर: - प्रकृति से भी परे ।
24. अव्यक्त: -अव्यक्त स्वरूपवाले ।
25. व्यक्ताव्यक्त: -जो श्रद्धालु भक्तों के समक्ष व्यक्त तथा अभक्त्जनों के लिए अव्यक्त है ।
26. रसाधर:- पृथ्वी को धारण करने वाले ।
27. पिंगरोम: -पीले रोम वाले ।
28. पिंगकेश: -पीले केशों वाले ।
29. श्रुतिगम्य: -जो श्रुतियों द्वारा जानने योग्य है ।
30. सनातन: -सदैव विद्यमान रहने वाले ।
31. अनादि: - आदि से रहित ।
32. भगवान: -ऐश्वर्य मिक्त ।
33. देव:- अत्यंत दीप्त स्वरूप ।
34. विश्वहेतु: -जगत् के मूल कारण ।
35. निरामय: -नीरोग ।
36. आरोग्यकर्ता: - आरोग्य प्रदान करने वाले ।
37. विश्वेश:- विश्व के ईश्वर ।
38. विश्वनाथ: -संसार के स्वामी ।
39. हरीश्वर: -वानरों के स्वामी ।
40. भर्ग:- तेज स्वरूप ।
41. राम: - जिनमें भक्तलोग रमण करते हैं ।
42. रामभक्त:- राम के भक्त ।
43. कल्याणप्रकृति: - कल्याण करना जिनका सवभाव है ।
44. स्थिर: -पर्वत के समान अचल ।
45. विश्वम्भर: - विश्व का भरण –पोषण करनेवाले ।
46. विश्वमूर्ति: -विश्व जिनकी मूर्ति है।
47. विश्वाकार: - जो सर्वस्वरूप हैं ।
48. विश्वप: - जो विश्व का पालन करते हैं।
49. विश्वात्मा: -जो विश्व की आत्मा हैं।
50. विश्वसेव्य: -सारे विश्व के सेवनीय।
51. विश्व:- जो विश्व हैं।
52. विश्वहर: - विश्व के हर्ता ।
53. रवि: - सुर्यस्वरूप ।
54. विश्वचेष्ट: - विश्व के हित में चेष्टा करनेवाले ।
55. विश्वगम्य: -विश्व के प्राणिमात्र के प्राप्त करने योग्य ।
56. विश्वध्येय: -सबके ध्यान करने योग्य ।
57. कलाधर: - कलाओं को धारण करनेवाले ।
58. प्लवंगम: - उछलते- कूदते चलनेवाले ।
59. कपिश्रेष्ठ: - वानरों में श्रेष्ठ ।
60. ज्येष्ठ: - महान् ।
61. वैद्य: -भवरोग के चिकित्सक ।
62. वनेचर: - सीताजी की खोज में वन-वन भटकने वाले ।
63. बाल: - बालक के समान निश्चल अथवा बालरूप हो सुरसा के मुँह में प्रवेश करनेवाले ।
64. वृद्ध: - बढ़कर पर्वताकार होनेवाले ।
65. युवा: - सदा तरुण स्वरूप ।
66. तत्वम्: - संसार के कारण स्वरूप ।
67. तत्त्वगम्य: -तत्वरूप में जानने योग्य ।
68. सखा: -सबके सखा ।
69. अज: -अजन्मा ।
70. अञ्जनासूनु: - माता अञ्जना के पुत्र ।
71. अव्यग्र:- कभी व्यग्र न होनेवाले ।
72. ग्रामख्यात: - गाँव-गाँव में प्रसिद्ध ।
73. धराधर: - पृथ्वी को धारण करनेवाले- पर्वताकार ।
74. भू: - पृथ्वीलोकस्वरूप ।
75. भुव: - भुवर्लोकस्वरूप ।
76. स्व: - स्वर्गलोकस्वरूप ।
77. महर्लोक: - महर्लोकस्वरूप ।
78. जनलोक: - जनलोकस्वरूप ।
79. तप: तपोलोकस्वरूप ।
80. अव्यय: - अविनाशीस्वरूप ।
81. सत्यम्:- संतों के लिए हितकर ।
82. ॐकारगम्य: - ॐकारके द्वारा प्राप्त होनेवाले ।
83. प्रणव: - ॐकारस्वरूप ।
84. व्यापक: - सर्वव्यापी ।
85. अमल: - दोषरहित ।
86. शिवधर्म प्रतिष्ठाता: - पाशुपत अथवा कल्याण- धर्म को प्रतिष्ठित करनेवाले ।
87. रामेष्ट:- जिनके श्रीराम इष्टदेव हैं ।
88. फाल्गुन प्रिय: -जो अर्जुन के प्रिय हैं ।
89. गोष्पदीकृतवारीश: - समुद्र को जलपूरित गोपद के समान लाँघनेवाले ।
90. पूर्णकाम: -जिनकी सारी कामनाएँ पूर्ण हैं।
91. धरापति: -पृथ्वी के स्वामी ।
92. रक्षोघ्न: -राक्षसों को मारनेवाले ।
93. पुण्डरीकाक्ष: - श्वेत कमल के समान नेत्रवाले ।
94. शरणागतवत्सल: - शरण में आए हुये पर कृपा करनेवाले ।
95. जानकीप्राणदाता: - जानकीको जीवन प्रदान करनेवाले ।
96. रक्षःप्राणापहारक: - राक्षसों का प्राण - नाश करनेवाले ।
97. पूर्ण:- पूर्णकाम ।
98. सत्य:- सत्यस्वरूप ।
99. पीतवासा: -पीला वस्त्र धारण करनेवाले ।
100.दिवाकर समप्रभ: - सूर्य के समान तेजस्वी ।
101.देवोद्यानविहारी: - देवताओं के नंदन-वन में विहार करने वाले ।
102.देवताभयभञ्जन: - देकताओं के भय को नष्ट करनेवाले ।
103.भक्तोदयो: - भक्तों की उन्नति करनेवाले ।
104.भक्तलब्ध: - भक्तों के दवारा प्राप्त ।
105.भक्तपालन तत्पर: - भक्तों की रक्षा में तत्पर ।
106.द्रोणहर्ता:- द्रोणाचलको उखाड़कर लानेवाले ।
107.शक्तिनेता - शक्तियों के संचालक ।
108.शक्तिराक्षसमारक: -शक्तिशाली राक्षसों को मारनेवाले ।
109.अक्षघ्न: -अक्षकुमार को मारनेवाले ।
110.रामदूत: -भगवान श्री रामचंद्र के दूत ।
111.शाकिनी जीवहारक: - शाकिनी का प्राण हरण करनेवाले ।
112.बुबुकारहताराति: - बुबुकार-ध्वनि से शत्रुका नाश करनेवाले ।
113.गर्वपर्वत प्रमर्दन: -गर्वरूपी पर्वत्को चूर-चूर करनेवाले ।
114.हेतु: - कारणरूप ।
115.अहेतु: - कारणरहित ।
116.प्रांशु: - बहुत उन्नत ।
117.विश्वभर्ता: - विश्व का भरण पोषण करनेवाले ।
118.जगद्गुरु: - सारे संसार के गुरु ।
119.जगन्नेता: - संसार के नेता ।
120.जगन्नाथ: - संसार के स्वामी ।
121.जगदीश: - जगत् के ईश ।
122.जनेश्वर: - भक्तों के ईश्वर ।
123.जगद्धित: - संसार का हित करनेवाले ।
124.हरि: - पापों को हरनेवाले ।
125.श्रीश: - शोभा के स्वामी।
126.गरुडस्मय भञ्जन: - गरुड़ के गर्व को नष्ट करनेवाले ।
127.पार्थध्वज: - अर्जुन के ध्वज चिन्ह ।
128.वायुपुत्र: - वायु के पुत्र ।
129.अमितपुच्छ: - अपरिमित पूँछवाले ।
130.अमित विक्रम: - असीम पराक्रम वाले ।
131.ब्रह्मपुच्छ: - जिनकी पूँछ वर्द्धनशील है ।
132.परब्रह्मपुच्छ: - जिनका परब्रह्म आधार है ।
133.रामेष्टकारक: - जो श्रीरामके अभीष्ट कार्य को सिद्ध करते हैं ।
134.सुग्रीवादियुतो: - सुग्रीवादि वानरों से युक्त ।
135.ज्ञानी: - ज्ञान सम्पन्न ।
136.वानर: - वनमें रहनेवालों की रक्षा करनेवाले ।
137.वानरेश्वर: -वानरों के स्वामी ।
138.कल्पस्थायी: - कल्पपर्यंत रहनेवाले ।
139.चिरञ्जीवी: - चिरकालतक जीवित रहने वाले ।
140.तपन:- सुर्य सदृश तेजस्वी ।
141.सदाशिव: - सदा कल्याणस्वरूप ।
142.सन्नत: - विद्या के दवारा जो सम्यक् रूप से विनयानवत हैं ।
143.सद्गति: - संतों की गति हैं ।
144.भुक्तिमुक्तिद: - भुक्ति और मुक्ति को देनेवाले।
145.कीर्तिदायक: - कीर्तिप्रदान करनेवाले ।
146.कीर्ति: - कीर्तिस्वरूप ।
147.कीर्तिप्रद: - यशस्वी बनानेवाले ।
148.समुद्र: - जो श्रीराम की मुद्रा या मुद्रिका साथ लिये हुए हैं ।
149.श्रीपद: - बुद्धि या ऐश्वर्य प्रदान करनेवाले ।
150.शिव: - संसार का उच्छेद करनेवाले ।
151.भक्तोदय: - भक्त के लिये प्रकट होनेवाले ।
152.भक्तगम्य: - भक्त द्वारा प्राप्त होनेवाले ।
153.भक्तभाग्यप्रदायक: -भक्त के लिये भाग्य प्रदायक ।
154.उदधिक्रमण:- समुद्र लाँघने वाले ।
155.देव:- देवस्वरूप ।
156.संसारभयनाशन: - संसार का भयनाश करनेवाले ।
157.वार्धिबन्धनकृद्: - समुद्र पर सेतु बाँधनेवाले।
158.विश्वजेता: - विश्व को जीतनेवाले ।
159.विश्वप्रतिष्ठित: - विश्व में प्रतिष्ठित ।
160.लङ्कारि: - लंकाके शत्रु ।
161.कालपुरुष: - कालरूपी पुरुष।
162.लङ्केशगृह भञ्जन: - रावण के महलों को नष्ट करनेवाले ।
163.भूतावास: भूतों के आवास – स्थल हैं ।
164.वासुदेव: - विश्व में व्यापक ।
165.वसु: - वसुस्वरूप ।
166.त्रिभुवनेश्वर: - त्रिभुवन के स्वामी ।
167.श्रीरामस्वरूप: - जो श्री राम तुल्य हैं ।
168.कृष्ण:- चित्त को आकर्षित करनेवाले ।
169.लङ्काप्रासादभञ्जन: - लंका के राक्षसों के महलों का विध्वंस करनेवाले ।
170.कृष्ण: - कृष्णस्वरूप ।
171.कृष्णस्तुत: - कृष्ण के दवारा स्तुति किये गये ।
172.शान्त: - शांतस्वरूप ।
173.शान्तिपद: - शांति प्रदान करनेवाले ।
174.विश्वपावन: - विश्व को पवित्र करनेवाले ।
175.विश्वभोक्ता: - सारे भोग्य पदार्थों के भोक्ता ।
176.मारघ्न:- कामदेव का हनन करनेवाले ।
177.ब्रह्मचारी: - आजन्म ब्रह्मचारी ।
178.जितेन्द्रिय: - जिन्होंने इन्द्रियों को जीत लिया है ।
179.ऊर्ध्वग: - आकाश-मार्ग से गमन करनेवाले ।
180.लाङ्गुली: - बड़ी पूँछवाले ।
181.माली: - मालावाले ।
182.लाङ्गूलाहत राक्षस: - पूँछ से राक्षसों को मार डालनेवाले ।
183.समीरतनुज: - वायुदेवता के पुत्र ।
184.वीर: - शौर्यशाली ।
185.वीरतार: - वीर शत्रुओं को मारकर तारनेवाले ।
186.जयप्रद: - जय प्रदान करनेवाले ।
187.जगन्मङ्गलद: - जगत् को मङ्गल प्रदान करनेवाले ।
188.पुण्य: - भगवन्नाम- संकीर्तन से विश्वको पवित्र करनेवाले
189.पुण्यश्रवण कीर्तन: - जिनकी कथाओं का श्रवण – कीर्तन पुण्य प्रद है ।
190.पुण्यकीर्ति: - जिनका यशोगान पुण्यप्रद है।
191.पुण्यगति: - जिनकी उपासना पुण्य का फल है ।
192.जगत्पावनापावन: - जो जगत् को पवित्र करनेवालोंको पावन बनाते हैं ।
193.देवेश: - देवताओं के स्वामी ।
194.जितमार:- कामदेव को जीतनेवाले ।
195.रामभक्ति विधायक: - श्रीराम भक्ति का विधान करनेवाले ।
196.ध्याता: - रात- दिन श्रीराम का ध्यान करनेवाले ।
197.ध्येय: - मुनियों के द्वारा ध्येय ।
198.लय: - अपनेमें अखिल चराचर को विलीन करनेवाले ।
199.साक्षी: - सर्वद्रष्टा ।
200.चेता: - सर्वज्ञ ।