उपयोगी जानकारी

• नियमित रोज सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ कपडे पहन कर ही पाठ प्रारम्भ करे।
• नियमित पाठ में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है।
• हनुमान जी की कोई भी पूजा एवं पाठ करते समय धूप-दीप अवश्य लगाये इस्से चमत्कारी एवं शीघ्र प्रभाव प्राप्त होता है।
• दीप संभव न हो तो केवल धूप जलाकर ही पाठ करे।
• हनुमान जी की पूजा एवं पाठ बिना धूप के प्रभाव हीन होता है।
• प्रसाद केवल शुद्ध घी का चढाए अन्यथा न चढाएं।
• नियमित पाठ पूर्ण आस्था, श्रद्धा और सेवा भाव से की जानी चाहिए। उसमे किसी भी तरह की संका या संदेह न रखे।
• १ से अधिक बार पाठ करने के उद्देश्य से जल्द से जल्द पाठ करने मे लोग गलत उच्चारण करते है। जो कि अनुचित है।
• यदि जीवन मे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और कोई उपाय नहीं सुझ रहा तो डरे नही नियमित पाठ करे आपकी सारी दुख-परेशानियां दूर हो जायेगीं अपनी आस्था व विश्वास बनाये रखे।

सप्तमुखी हनुमत कवच । Saptmukhi Hanumat Kavch - √यह पाठ अथवर्ण रहस्योक्त है जिसका तीनो समय पाठ करने से परिवार मे सुख व स्मृद्धि होती है। असाध्य रोग नष्ट होते है। मान सम्मान व कीर्ति लाभ होता है है व शत्रुओ का हनन होता है। यह पाठ अत्यंत गुप्त है। अत: इसका प्रयोग भी गोपनीयता के साथ करनी चाहिये युं भी परम्परा है की गुप्त साधन गोपनीय रखे जाने चाहिये। । मान्यता है की भोजन, मैथुन व साधन एकांत मे करना चाहिये।

 

संकट मोचन स्तोत्रम । Sankat Mochan stotram - √संकट मोचन स्तोत्रम । Sankat Mochan stotram

 

संकट मोचन पाठ् । Sankat Mochan Path - √यह पाठ हनुमान चालिसा की भांति ही सरल भाषा मे है। है। और इसका अनुष्ठान संकटो का शमन करता है। इसे प्रति संध्या मे २१ बार पढ़्ते है और २१ दिन तक करते है। ४० रोज करना विशेष लाभकारी रहता है

 

लांगुलास्त्र शत्रुंजय हनुमतस्तोत्रम| Langulastra Shatrunjay Hanumatstotram - √यह स्तोत्र शत्रु नाशक है। जब अनेक शत्रु जीवन को दुख पहुचाने लग जाय या कोई शक्तिशाली व्यक्ति शत्रु बन जाये तब विनीति भाव से 'ममारातीन निपाताय' का पाटः करना चाहिये । इसके साथ ही मालामंत्र अर्थात मंत्रात्मक एक पाठ है जिसे साव्धानी से करना होता है। है।यह पूरा का पूरा पाठ अति विलक्षण है ईसके प्रभाव से शत्रु को कष्ट होने लग जाता है और प्रत्यक्ष से छुपे शत्रु पीणित होते है। है। परंतु स्मरण यह रखना होता है की पाटः के मध्य में अरे मल्ल चटख या तोड़रमल्ल चटख का उचारण करके कपि मुद्रा का प्रदर्शन करना होता है। इसके प्रभाव अतयंत गम्भीर होते है।

 

एकादशमुखी हनुमतकवच| Ekadashmukhi Hanumat Kavach in Hindi - √इस पाठ को करने से बाद बिबाद, भयानक कष्टकष्ट, ग्रह भय, जल, सर्प, दुर्भिक्ष, भयंकर राज्य शस्त्र भय से भय नही रहता है और तीनो संधायो मे इसका पाठ करने से निसंदेह अभीश्ट लाभ होता है। है। सिद्धिया प्राप्त करने वाले को यह पाठ अवश्य करना चाहिये।

 

राम रक्षा स्त्रोत - √ पूजा विधि एवं हिंदी अर्थ सहित ⇒.पूरा पढे

 

जानिये क्यों होते हैं माला में १०८ दाने - √ जानिये क्यों होते हैं माला में १०८ दाने... ⇒.पूरा पढे

 

हनुमान वडवानल स्तोत्र - √ बड़ी-से-बड़ी विपत्ति टालने के लिये... ⇒.पूरा पढे

 

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अथ श्री एक मुखि हनुमत्कवचं - √ अर्थ सहित ... ⇒ पूरा पढे

 

हनुमद् बीसा - √ सभी शत्रु को तत्काल नष्ट करने के लिये ... ⇒पूरा पढे

 

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