हनुमान साठिका हिंदी अर्थ सहित(Hanuman Sathika hindi arth sahit)
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हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । हनुमान साठिका का पाट विधिपूर्वक साठ दिनों तक करने चाहिये । इसे किसी भी मंगलवार से शुरु कर सकते हैं । सुबह उठकर शुद्ध हो लें । उसके बाद विधिपूर्वक श्रीराम जी का पूजन कर ,हनुमान जी का पूजन करें । तत्पश्चात् पाठ आरम्भ करें ।
॥दोहा॥
बीर बखानौं पवनसुत,जनत सकल जहान ।
धन्य-धन्य अंजनि-तनय , संकर, हर, हनुमान्॥
वीर पवनकुमार की कीर्ति का वर्णन करता हूँ जिसको सारा संसार जानता है। हे आंजनेय ! हे भगवान शंकर के अवतार हनुमानजी ! आप धन्य हैं, धन्य हैं ।
।।चौपाइयां।।
जय जय जय हनुमान अड़ंगी। महावीर विक्रम बजरंगी।।
जय कपीश जय पवन कुमारा। जय जगवन्दन सील-अगारा।।
जय उद्योग अमर अविकारी। अरि-मरदन जय-जय गिरधारी।।
अंजनि-उदर जन्म तुम लीना। जय-जयकार देवतन कीना।।१।।
हे हनुमानजी ! आपकी जय हो, जय हो, जय हो । आपकी गति अबाध है । कोई आपका मार्ग नहीं रोक सकता । हे वज्र के समान कठोर अंगों वाले महावीर ! आपकी जय हो, जय हो । हे कपियों के राजा ! आपकी जय हो । हे पवनपुत्र ! आपकी जय हो । हे सारे संसार के वंदनीय ! हे गुणों के भंडार ! आपकी जय हो । हे कर्तव्य- प्रवीण , हे देवता , हे अविकारी ! आपकी जय हो । हे शत्रुओं का नाश करने वाले ! आपकी जय हो। हे द्रोणाचल को उठाने वाले ! आपकी जय हो । आपने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया । तब देवताओं ने जय- जयकार की ।।१।।