श्री राम रक्षा स्तोत्र अर्थ सहित
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श्री राम रक्षा स्तोत्र बुध कौशिक ऋषि द्वारा लिखा गया है । श्रीमहादेवजी ने बुद्ध कौशिक ऋषि के स्वप्न में आकर उन्हें इस स्तोत्र को लिखने की आज्ञा दी थीं। अगले दिन प्रात:काल उठकर बुद्ध कौशिक ने इस स्तोत्र को भगवान शंकर के कहे अनुसार लिखा था। इसमें श्री राम की स्तुति की गई है। इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के भय का नाश हो जाता है। यह पाठ करने वाला सभी पापों से मुक्त हो जाता है। उसे संसार में हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है। मनुष्य दीर्घायु, संतान और सम्पत्ति से हमेशा परिपूर्ण रहता है। भगवान श्री राम इस स्तोत्र के पाठ करने वाले की हमेशा रक्षा करते हैं। इस स्तोत्र को याद करलेने वाला मनुष्य सभी प्रकार की सिद्धियों को आसानी से पा लेता है।
राम रक्षा स्त्रोत की विधि
नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन इस राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिये। इस स्तोत्र का कम-से-कम ११ बार और न हो सके तो सात बार नियमित रूप से पाठ करना चाहिये। प्रात:काल उठकर नित्य कर्म से निवृत हो लें। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। पूजा गृह को शुद्ध कर लें। आसन पर बैठ जायें। सभी पूजान सामग्री एकत्रित कर लें। चौकी पर पीताम्बर वस्त्र बिछाकर राम जी का चित्र या मूर्ति लक्ष्मणजी, माता सीता और हनुमान जी सहित स्थापित करें।
शुद्धिकरण:-
हाथ में जल लेकर “ॐ पवित्रः ... शुचिः॥” बोलते हुये अपने ऊपर जल छिड़क कर स्वयं को शुद्ध कर लें।
ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
हाथ में जल लेकर “पृथ्विति ... विनियोगः॥” बोलते हुये पूजन सामग्री और आसन पर जल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः
कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
पवित्रीकरण:-
अपने आत्मा की शुद्धि के लिये मुख में एक-एक बूंद जल डलकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:-
ॐ केशवाय नमः
ॐ नारायणाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
इसके बाद “ॐ हृषिकेशाय नमः” कहते हुये अंगूठे से होंठ को पोछ ले।
विनियोग:- हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र के द्वारा विनियोग करें:-
विनियोग:।।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि: श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप् छन्द: सीता शक्ति: श्रीमान् हनुमान् कीलकम् श्रीरामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्र जपे विनियोग: ॥
हाथ के जल को भूमि पर छोड़ दें।
ध्यान: अब दोनों हाथ जोड़कर निम्न मंत्र से रघुकुल नंदन का ध्यान करें:-
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं ।
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचंद्रम् ॥
पूजा:- इसके बाद पंचोपचार विधि से श्रीरामचंद्रजी का पूजन करें। धूप, दीप, अक्षत, पुष्प चढ़ायें। दीप दिखायें। नैवेद्य अर्पित करें। पूजा के बाद पाठ आरम्भ करें।
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