सहस्त्रनाम पाठ
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रविश्चंद्र: कुज: सौम्यो गुरु: काव्य: शनैश्चर:।
राहु: केतुर्मरुद्धोता दाता हर्ता समीरज:॥38॥
291.रवि: - सुर्यस्वरूप ।
292.चन्द्र: - जगत् को आह्लादित करनेवाले चंद्रस्वरूप ।
293.कुज: - मंगल ग्रहस्वरूप ।
294.सौम्य: - बुधग्रहस्वरूप ।
295.गुरु: - बृहस्पतिग्रहस्वरूप ।
296.काव्य: - शुक्रग्रहस्वरूप ।
297.शनैश्चर: - शनिग्रहस्वरूप ।
298.राहु: - राहुग्रहस्वरूप ।
299.केतु: - केतुग्रहस्वरूप ।
300.मरुत्: - वायुस्वरूप ।
301.होता: - हवन करनेवाले ।
302.दाता: - भक्तों के भव-बंधन को काटनेवाले ।
303.हर्ता: - भक्तोंकी ममताको हरनेवाले ।
304.समीरज: - पवन देवता के पुत्र ।
मशकीकृतदेवारिदैत्यारिर्मधुसूदन: ।
काम: कपि: कामपाल: कपिलो विश्वजीवन:॥39॥
305.मशकीकृतदेवारि: - देवताओं के शत्रुओं को मच्छरके समान समझनेवाले ।
306.दैत्यारि: - दैत्यों के शत्रु ।
307.मधुसूदन: - भक्तोंके अशुभ कर्मोंका विनाश करनेवाले ।
308.काम: - श्रीराम भक्तिकी कामना करनेवाले ।
309.कपि: - जल से पृथ्वीकी रक्षा करनेवाले ।
310.कामपाल: - वीर्यरक्षक अर्थात् ब्रह्मचर्यका पालन करनेवाले ।
311.कपिल: - कपिलमुनिस्वरूप ।
312.विश्वजीवन: - विश्व के जीवन ।

भागीरथीपदाम्भोज: सेतुबंधविशारद: ।
स्वाहा स्वधा हवि: कव्यं हव्यवाहप्रकाशक :॥40॥
313.भागीरथीपदाम्भोज: - जिनके चरणकमल भागीरथीके समान पवित्र करनेवाले हैं ।
314.सेतुबन्धविशारद: - सेतु बांधने में चतुर ।
315.स्वाहा: - स्वाहास्वरूप ।
316.स्वधा: - स्वधा स्वरूप
317.हवि: - हवि:स्वरूप ।
318.कव्यम्: - पितरोंको दिये जानेवाले अन्नादिरूप ।
319.हव्यवाहप्रकाशक: - देवताओंके लिये हव्य वहन करनेवाले अग्निके समान प्रकाशक ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
एक बार गोस्वामी तुलसीदासजी बहुत बीमार हो गये । भुजाओं में वात-व्याधि की गहरी पीड़ा और फोड़े-फुंसियों के कारण सारा उनका शरीर वेदना का स्थान-सा बन गया था। उन्होंने औषधि, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये, किन्तु यह रोग घटने के बदले दिनों दिन बढ़ता ही जाता था। Read More
बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More