सहस्त्रनाम पाठ
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स्वप्रकाशो महावीरो लघुरूर्जितविक्रम: ।
उड्डीनोड्डीनगतिमान् सद्गति पुरुषोत्तम : ॥41॥
320.स्वप्रकाश: - स्वयं प्रकाशस्वरूप ।
321.महावीर: - बड़े बलवान ।
322.लघु: - लघु रूप धारण करनेवाले ।
323.ऊर्जित:विक्रम: - सुदृढ़ा पराक्रमवाले ।
324.उड्डीनोड्डीनगतिमान्: - आकाशमें उड़नेवालों में तीव्रगतिशाली ।
325.सद्गति: - सम्यक रीतिसे चलनेवाले।
326.पुरुषोत्तम्: - पुरुषों में श्रेष्ठ ।
जगदात्मा जगद्योनिर्जगतो हृनन्तक: ।
विपाप्मा निष्कलङ्कोऽथ महान् महदहंकृति: ।।42॥
327.जगदात्मा: - जगत् – सवरूप ।
328.जगद्योनि: - जगत् के कारण ।
329.जगदन्त: - जगत् का अन्त करनेवाले ।
330.अनन्तक: - जिनके अनन्त गुण हैं ।
331.विपाप्मा: - पापरहित ।
332.निष्कलङ्क: - कलङ्करहित ।
333.महान्: - महत्तत्त्वस्वरूप ।
334.महदहङ्कृति: - महां अहंकारतत्वस्वरूप ।
खं वायु: पृथिवी चापो वह्गिर्दिक्पाल एव च।
क्षेत्रज्ञ: क्षेत्रहर्ता च पल्वलीकृतसागर:॥43॥

335.खं: - आकाशतत्वस्वरूप ।
336.वायु: - वायुतत्वस्वरूप ।
337.पृथ्वी: - पृथ्वीतत्वस्वरूप ।
338.आप: - जलतत्वस्वरूप ।
339.वह्नि: - अग्नितत्वस्वरूप ।
340.दिक्पाल: - दिशाओंका पालन करनेवाले ।
341.क्षेत्रज्ञ: - क्षेत्रके ज्ञाता ।
342.क्षेत्रहर्ता: - क्षेत्र का हरण करनेवाले ।
343.पल्वलीकृतसागर: - सागर को लघु जलाशयरूप मानकर सरलतासे पार करनेवाले ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
एक बार गोस्वामी तुलसीदासजी बहुत बीमार हो गये । भुजाओं में वात-व्याधि की गहरी पीड़ा और फोड़े-फुंसियों के कारण सारा उनका शरीर वेदना का स्थान-सा बन गया था। उन्होंने औषधि, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये, किन्तु यह रोग घटने के बदले दिनों दिन बढ़ता ही जाता था। Read More
बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More