सहस्त्रनाम पाठ
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राजेन्द्रो भूपती रुण्डमाली संसारसारथि: ।
नित्यसम्पूर्णकामश्च भक्तकामधुगुत्तम:॥74॥

571.राजेन्द्र: - राजाओं में श्रेष्ठ ।
572.भूपती: - पृथ्वी के पालक ।
573.रुण्डमाली: - रुण्डों के मालावाले ।
574.संसार सारथि: - भक्तों को भवसिन्धु पार करने में सहायक ।
575.नित्य सम्पूर्ण काम: - सदा सभी कामनाओं से तृप्त ।
576.भक्त कामधुक्: - भक्तों की कामनाओं के दोग्धा ।
577.उत्तम: - श्रेष्ठ ।
गणप: केशवो भ्राता पिता माता च मारुति:।
सहस्त्रमूर्द्धानेकास्य सहस्त्राक्ष: सहस्त्रपात्॥75॥

578.गणप: - वानरगणों के पालक ।
579.केशव: - घुँघराले केशवाले ।
580.भ्राता: - भ्रातृस्वरूप ।
581.पिता: - पितारूप ।
582.माता: - वात्सल्यमयी मातारूप ।
583.मारुति: - पवनदेवता के पुत्र ।
584.सहस्रमूर्द्धा: - हजारों सिरवाले ।
585.अनेकास्य: - अनेक मुखवाले ।
586.सहस्राक्ष: - सहस्त्रों नेत्रवाले ।
587.सहस्रपात्: - सहस्त्रों पैरवाले ।
कामजित् कामदहन: काम: कामफलप्रद:।
मुद्रापहारी रक्षोघ्न: क्षितिभारहरो बल:॥76॥


588.कामजित्: - कामदेव को जीतनेवाले ।
589.कामदहन: - काम को जलानेवाले ।
590.काम: - सौन्दर्यशाली ।
591.कामफलप्रद: - कामनाओं को पूर्ण करनेवाले ।
592.मुद्रापहारी: - श्रीराम मुद्रिका को ले जानेवाले ।
593.रक्षोघ्न: - राक्षसों का नाशकरनेवाले ।
594.क्षिति भारहा: - पृथ्वी का भार उतारनेवाले ।
595.बल: - शत्रु- सन्हारक ।

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