सहस्त्रनाम पाठ
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रौद्रकर्मा क्रूरकर्मा रत्ननाभ: कृतागम:।
अम्भोधिलङ्घन: सिंह: सत्यधर्मप्रमोदन:॥80॥
619.रौद्रकर्मा: - भयामक कर्म करनेवाले । 620.क्रूरकर्मा: - कठोर कर्म करनेवाले ।
621.रत्नाभ: - रत्न के समान नाभिवाले ।
622.कृतागम: - शास्त्रकी रचना करनेवाले ।
623.अम्भोधि लङ्घन: - समुद्र लाँघनेवाले ।
624.सिंह: - सिंहस्वरूप ।
625.सत्यधर्म प्रमोदन: - सत्यधर्म का पालन करनेमें प्रसन्न ।
जितामित्रो जय: सोमो विजयो वायुनन्दन:।
जीवदाता सहस्त्रांशुर्मुकुन्दो भूरिदक्षिण:॥81॥
626.जितामित्रो: - शत्रुओं को जीतनेवाले ।
627.जय: - जयस्वरूप ।
628.सोम: - सोमस्वरूप ।
629.विजयी: - पराक्रमी ।
630.वायुनन्दन: - पवनदेवता को आनंदित करनेवाले ।
631.जीवदाता: - प्राणदान करनेवाले ।
632.सहस्रांशु: - सूर्यस्वरूप ।
633.मुकुन्द: - मुक्तिप्रदान करनेवाले ।
634.भूरिदक्षिण: - विपुल दक्षिणा प्रदान करनेवाले ।
सिद्धार्थ: सिद्धिद: सिद्धसंकल्प: सिद्धिहेतुक:।
सप्तपातालचरण: सप्तर्षिगणवन्दित:॥82॥

635.सिद्धार्थ: - सदासिद्ध प्रयोगवाले ।
636.सिद्धिद: - सिद्धि देनेवाले ।
637.सिद्ध सङ्कल्प: - सिद्ध संकल्पवाले ।
638.सिद्धि हेतुक: - सिद्धियों के कारण ।
639.सप्तपातालचरण: - सप्तपाताल में संचरण करनेवाले ।
640.सप्तर्षिगणवन्दित: - सप्तऋषियों द्वारा वंदित ।
सप्ताब्धिलङ्घनो वीर: सप्तद्वीपोरुमण्डल:।
सप्ताङराज्यसुखद: सप्तमातृनिषेवित:॥83॥
641.सप्ताब्धिलङ्घन: - सातों समुद्रों को लाँघनेवाले ।
642.वीर: - संदेश पहुँचानेवालों में वीर ।
643.सप्तद्वीपोरुमण्डल: - सप्तद्वीप के विशाल मण्डल में विचरण करनेवाले ।
644.सप्ताङ्गराज्यसुखद: - सप्ताङ्ग़युक्त राज्य के लिये सुखद ।
645.सप्तमातृनिषेवित: - सात माताओं द्वारा सेवित ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
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बजरंग बाण पाठ महात्मय
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