सहस्त्रनाम पाठ
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सप्तस्वर्लोकमुकुट: सप्तहोता स्वराश्रय:।
सप्तच्छन्दोनिधि: सप्तच्छन्द: सप्तजनाश्रय:॥84।
646.सप्तस्वर्लोकमुकुट: - सात स्वर्गलोकों के मुकुटमणि ।
647.सप्तहोता: - सामवेद के सात मंत्रों से हवन करनेवाले ।
648.स्वाराश्रय: - स्वरों का आश्रय लेनेवाले अर्थात् संगीत- शास्त्रों में प्रवीण ।
649.सप्तच्छन्दोनिधि: - सात वैदिक छंदों के आश्रय ।
650.सप्तच्छन्द: - सात छन्दस्वरूप ।
651.सप्तजनाश्रय: - सप्तजनों के आश्रयस्वरूप ।
सप्तसामोपगीतश्च सप्तपातालसंश्रय:।
मेधाद: कीर्तिद: शोकहारी दौर्भाग्यनाशन:॥85॥
652.सप्तसामोपगीत: - जिनका सामवेद की सात स्वरोंद्वारा गान किया जाता है ।
653.सप्तपाताल संश्रय: - सप्तपाताल के आश्रय ।
654.मेधाद: - मेधा को प्रदान करनेवाले ।
655.कीर्तिद: - यश देनेवाले ।
656.शोकहारी: - शोक हरण करनेवाले ।
657.दौर्भाग्यनाशन: - दुर्भाग्य का नाश करनेवाले ।
सर्वरक्षाकरो गर्भदोषहा पुत्रपौत्रद:।
प्रतिवादिमुखस्तम्भो रुष्टचित्तप्रसादन:॥86॥
658.सर्वरक्षाकर: -चारों ओर से रक्षा करनेवाले ।
659.गर्भदोषहा: - गर्भ-दोष को दूर करनेवाले ।
660.पुत्रपौत्रद: - पुत्र और पौत्र प्रदान करनेवाले ।
661.प्रतिवादिमुखस्तम्भ: - प्रतिवादी के मुख को बंद करनेवाले अर्थात् श्रेष्ठ वक्ता ।
662.रुष्टचित्तप्रसादत: - रूष्टचित्तवालों को प्रसन्न करनेवाले ।
पराभिचारशमनो दु:खहा बंधमोक्षद:।
नवद्वारपुराधारो नवद्वारनिकेतन:॥87॥
663.पराभिचारशमन: - शत्रु के मारण- मोहन आदि अभिचारों को शमन करनेवाले ।
664.दुःखहा: - दु:खों का नाश करनेवाले ।
665.बन्धमोक्षद:- बंधनसे मुक्त करनेवाले ।
666.नवद्वारापुराधार : - नवद्वारपुर (शरीर ) के आधार ।
667.नवद्वारनिकेतन: - नवद्वारवाले शरीररूपी घर में रहनेवाले आत्म-स्वरूप ।