सहस्त्रनाम पाठ
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रक्ताम्बरधरो रक्तो रक्तमाल्यो विभूषण:।
वनमाली सुभाङ्ग्श्च स्वेत: स्वेताम्बरो युवा॥128।
965.रक्ताम्बरधर: - लाल वर्ण का वस्त्र धारण करनेवाले ।
966.रक्त: - लाल वर्णवाले ।
967.रक्तमाल्य: - लाल रंग की माला से सुशोभित ।
968.विभूषण: - अलंकारस्वरूप ।
969.वनमाली: - वन्य पुष्पों की माला पहननेवाले ।
970.शुभाङ्ग: - मंगलस्वरूप ।
971.श्वेत: - श्वेत स्वरूप ।
972.श्वेताम्बर: - शुक्ल वर्ण का वस्त्र धारण करनेवाले ।
973.युवा: - सदा तरुणस्वरूप।
जयोऽजयपरीवार: सहस्त्रवदन: कपि: ।
शाकिनीडाकिनीयक्षरक्षोभूतप्रभञ्जक: ॥129॥
974.जय: - विजेता ।
975.अजयपरीवार: - जिसका विजय ही परिवार है ।
976.सहस्रवदन: - सहस्त्र मुखवाले ।
977.कपि: - कपिस्वरूप ।
978.शाकिनी डाकिनी यक्षरक्षो भूतप्रभञ्जक: - शाकिनी, डाकिनी , यक्ष , राक्षस,भूत आदिका नाश करनेवाले ।
सद्योजात: कामगतिर्ज्ञानमूर्तिर्यशकर:।
शम्भुतेजा: सर्वभौमो विष्णुभक्त: प्लवङ्गम:॥130॥
979.सद्योजात: - तुरंत प्रकट होनेवाले।
980.कामगति: -स्वच्छंद घूमनेवाले ।
981.ज्ञानमूर्ति: - ज्ञान की साक्षात मूर्ति ।
982.यशस्कर: - यशस्वी।
983.शम्भुतेजा: - भगवान् शंकर के समान तेजस्वी ।
984.सार्वभौम: - सब संसार के अधिपति ।
985.विष्णुभक्त: - भगवान् विष्णु के भक्त।
986.प्लवङ्गम: - मर्कटस्वरूप ।
चतुर्नवतिमंत्रज्ञ : पौलस्त्यबलदर्पहा।
सर्वलक्ष्मीप्रद: श्रीमानङ्गदप्रिय ईडित: ॥131॥

987.चतुर्नवतिमन्त्रज्ञ: - चौरानबे मंत्रों के ज्ञाता ।
988.पौलस्त्यबलदर्पहा: - रावण के बल के घमंड को नष्ट करनेवाले ।
989.सर्वलक्ष्मीप्रद: - सारे ऐश्वर्य को प्रदान करनेवाले ।
990.श्रीमान: - सर्वैश्वर्यशाली ।
991.अङ्गदप्रिय: - अंगद के प्यारे ।
992.ईडित: - स्तुत्य ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
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बजरंग बाण पाठ महात्मय
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श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More