सहस्त्रनाम पाठ
Page 8 / 52
अथ सहस्त्रनाम
श्री रामचन्द्र उवाच
हनुमाञ्श्रीपदो वायुपुत्रो रुद्रोऽनघोऽजर:।
अमृत्युर्वीरश्च ग्रामवासो जनाश्रय: ॥1॥
श्री रामचन्द्र जी बोले –
1. हनुमान्: – विशाल और टेढी ठुड्डी वाले ।
2. श्रीप्रद: - शोभा प्रदन करने वाले ।
3. वायुपुत्र: - वायु के पुत्र
4. रुद्र: - जो रुद्र के अवतार हैं (हनुमान जी एकादश रुद्र हैं)
5. अनघ: -पाप से रहित
6. अजर: - वृद्धावस्था से रहित
7. अमृत्य: - मृत्यु से रहित
8. वीरवीर: - वीरों में अग्रणी
9. ग्रामवास: - गाँवों में निवास करने वाले
10. जनाश्रय:- समस्त जनों को आश्रय प्रदान करने वाले
धनदो निर्गुणोऽकायो वीरो निधिपतिर्मुनि:।
पिङ्गक्षोवरद वाग्मी सीताशोका विनाशन:॥2॥
11. धनद: -धन धान्य देनेवाले
12. निर्गुण: -सतोगुण,रजोगुण एवं तमोगुण से रहित ।
13. अकाय: -भौतिक देह से रहित ।
14. वीर: - पराक्रमी ।
15. निधिपति: - नवनिर्धायों के स्वामी ।
16. मुनि: - वेद शास्त्रों के गूहार्थ के ज्ञाता ।
17. पिंगाक्ष: - पीले-पीले नेत्रों वाले ।
18. वरद: - मनोवांछित वरदान देने वाले ।
19. वाग्मी: - कुशल वक्ता ।
20. सीताशोकविनाशन: - सीता जी के शोक को मिटाने वाले ।