सहस्त्रनाम पाठ
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भर्गो रामो रामभक्त : कल्याणप्रकृति: स्थिर ।
विशवम्भरो विश्वमूर्तिर्विश्वाकारोऽथ विश्वप: ॥5॥
40. भर्ग:- तेज स्वरूप ।
41. राम: - जिनमें भक्तलोग रमण करते हैं ।
42. रामभक्त:- राम के भक्त ।
43. कल्याणप्रकृति: - कल्याण करना जिनका सवभाव है ।
44. स्थिर: -पर्वत के समान अचल ।
45. विश्वम्भर: - विश्व का भरण –पोषण करनेवाले ।
46. विश्वमूर्ति: -विश्व जिनकी मूर्ति है।
47. विश्वाकार: - जो सर्वस्वरूप हैं ।
48. विश्वप: - जो विश्व का पालन करते हैं।
विश्वात्मा विश्वसेव्योऽथ विश्वो विश्वहरो रवि: ।
विश्वचेष्टो विश्वगम्यो विश्वध्येय: कलाधर: ॥6॥
49. विश्वात्मा: -जो विश्व की आत्मा हैं।
50. विश्वसेव्य: -सारे विश्व के सेवनीय।
51. विश्व:- जो विश्व हैं।
52. विश्वहर: - विश्व के हर्ता ।
53. रवि: - सुर्यस्वरूप ।
54. विश्वचेष्ट: - विश्व के हित में चेष्टा करनेवाले ।
55. विश्वगम्य: -विश्व के प्राणिमात्र के प्राप्त करने योग्य ।
56. विश्वध्येय: -सबके ध्यान करने योग्य ।
57. कलाधर: - कलाओं को धारण करनेवाले ।