सहस्त्रनाम पाठ
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देवोद्यान विहारी च देवताभयभञ्जन: ।
भक्तोदयो भक्तलब्धो भक्तपालन तत्पर: ॥12॥
101.देवोद्यानविहारी: - देवताओं के नंदन-वन में विहार करने वाले ।
102.देवताभयभञ्जन: - देकताओं के भय को नष्ट करनेवाले ।
103.भक्तोदयो: - भक्तों की उन्नति करनेवाले ।
104.भक्तलब्ध: - भक्तों के दवारा प्राप्त ।
105.भक्तपालन तत्पर: - भक्तों की रक्षा में तत्पर ।
द्रोणहर्ता शक्तिनेता शक्तिराक्षसमारक: ।
अक्षघ्नो रामदूतश्च शाकिनी जीवहारक: ॥13॥
106.द्रोणहर्ता:- द्रोणाचलको उखाड़कर लानेवाले ।
107.शक्तिनेता - शक्तियों के संचालक ।
108.शक्तिराक्षसमारक: -शक्तिशाली राक्षसों को मारनेवाले ।
109.अक्षघ्न: -अक्षकुमार को मारनेवाले ।
110.रामदूत: -भगवान श्री रामचंद्र के दूत ।
111.शाकिनी जीवहारक: - शाकिनी का प्राण हरण करनेवाले ।
बुबुकारहतारातिगर्वपर्वत मर्दन: ।
हेतुस्त्वहेतु: प्रांशुश्च विश्वभर्ता जगद्गुरू: ॥14॥
112.बुबुकारहताराति: - बुबुकार-ध्वनि से शत्रुका नाश करनेवाले ।
113.गर्वपर्वत प्रमर्दन: -गर्वरूपी पर्वत्को चूर-चूर करनेवाले ।
114.हेतु: - कारणरूप ।
115.अहेतु: - कारणरहित ।
116.प्रांशु: - बहुत उन्नत ।
117.विश्वभर्ता: - विश्व का भरण पोषण करनेवाले ।
118.जगद्गुरु: - सारे संसार के गुरु ।