सहस्त्रनाम पाठ
Page 14 / 52
जगन्नेता जगन्नाथो जगदीशो जनेश्वर: ।
जगद्धितो हरि: श्रीशो गरुड़स्मयभञ्जन: ॥15॥
119.जगन्नेता: - संसार के नेता ।
120.जगन्नाथ: - संसार के स्वामी ।
121.जगदीश: - जगत् के ईश ।
122.जनेश्वर: - भक्तों के ईश्वर ।
123.जगद्धित: - संसार का हित करनेवाले ।
124.हरि: - पापों को हरनेवाले ।
125.श्रीश: - शोभा के स्वामी।
126.गरुडस्मय भञ्जन: - गरुड़ के गर्व को नष्ट करनेवाले ।
पार्थध्वजो वायुपुत्रोऽमितपुच्छोऽमितविक्रम:।
ब्रह्मपुच्छ: परब्रह्मपुच्छो रामेष्टकारक:॥16॥
127.पार्थध्वज: - अर्जुन के ध्वज चिन्ह ।
128.वायुपुत्र: - वायु के पुत्र ।
129.अमितपुच्छ: - अपरिमित पूँछवाले ।
130.अमित विक्रम: - असीम पराक्रम वाले ।
131.ब्रह्मपुच्छ: - जिनकी पूँछ वर्द्धनशील है ।
132.परब्रह्मपुच्छ: - जिनका परब्रह्म आधार है ।
133.रामेष्टकारक: - जो श्रीरामके अभीष्ट कार्य को सिद्ध करते हैं ।
सुग्रीवादियुतो ज्ञानी वानरो वानरेश्वर: ।
कल्पस्थायी चिरंजीवी तपनश्च सदाशिव:॥17॥
134.सुग्रीवादियुतो: - सुग्रीवादि वानरों से युक्त ।
135.ज्ञानी: - ज्ञान सम्पन्न ।
136.वानर: - वनमें रहनेवालों की रक्षा करनेवाले ।
137.वानरेश्वर: -वानरों के स्वामी ।
138.कल्पस्थायी: - कल्पपर्यंत रहनेवाले ।
139.चिरञ्जीवी: - चिरकालतक जीवित रहने वाले ।
140.तपन:- सुर्य सदृश तेजस्वी ।
141.सदाशिव: - सदा कल्याणस्वरूप ।