सहस्त्रनाम पाठ
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संनत: सद्गतिर्भुक्तिमुक्तिद: कीर्तिदायक:।
कीर्ति: कीर्तिप्रदश्चैव समुद्र: श्रीपद: शिव: ॥18॥
142.सन्नत: - विद्या के दवारा जो सम्यक् रूप से विनयानवत हैं ।
143.सद्गति: - संतों की गति हैं ।
144.भुक्तिमुक्तिद: - भुक्ति और मुक्ति को देनेवाले।
145.कीर्तिदायक: - कीर्तिप्रदान करनेवाले ।
146.कीर्ति: - कीर्तिस्वरूप ।
147.कीर्तिप्रद: - यशस्वी बनानेवाले ।
148.समुद्र: - जो श्रीराम की मुद्रा या मुद्रिका साथ लिये हुए हैं ।
149.श्रीपद: - बुद्धि या ऐश्वर्य प्रदान करनेवाले ।
150.शिव: - संसार का उच्छेद करनेवाले ।
भक्तोदयो भक्तगम्यो भक्तभाग्यप्रदायक :।
उदधिक्रमणो देव: संसारभयनाशन:॥19॥
151.भक्तोदय: - भक्त के लिये प्रकट होनेवाले ।
152.भक्तगम्य: - भक्त द्वारा प्राप्त होनेवाले ।
153.भक्तभाग्यप्रदायक: -भक्त के लिये भाग्य प्रदायक ।
154.उदधिक्रमण:- समुद्र लाँघने वाले ।
155.देव:- देवस्वरूप ।
156.संसारभयनाशन: - संसार का भयनाश करनेवाले ।