सहस्त्रनाम पाठ
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वार्धिबन्धनकृद् विश्वजेता विश्वप्रतिष्ठित:।
लङ्कारि: कालपुरुषो लंकेशगृहभञ्जन:॥20॥
157.वार्धिबन्धनकृद्: - समुद्र पर सेतु बाँधनेवाले।
158.विश्वजेता: - विश्व को जीतनेवाले ।
159.विश्वप्रतिष्ठित: - विश्व में प्रतिष्ठित ।
160.लङ्कारि: - लंकाके शत्रु ।
161.कालपुरुष: - कालरूपी पुरुष।
162.लङ्केशगृह भञ्जन: - रावण के महलों को नष्ट करनेवाले ।
भूतावासो वासुदेवो वसुस्त्रिभुवनेश्वर:।
श्रीरामरूप: कृष्णस्तु लंकाप्रासादभञ्जक :॥21।
163.भूतावास: भूतों के आवास – स्थल हैं ।
164.वासुदेव: - विश्व में व्यापक ।
165.वसु: - वसुस्वरूप ।
166.त्रिभुवनेश्वर: - त्रिभुवन के स्वामी ।
167.श्रीरामस्वरूप: - जो श्री राम तुल्य हैं ।
168.कृष्ण:- चित्त को आकर्षित करनेवाले ।
169.लङ्काप्रासादभञ्जन: - लंका के राक्षसों के महलों का विध्वंस करनेवाले ।