सहस्त्रनाम पाठ
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पुण्यश्लोक: पुरारातिर्ज्योतिष्माञ् शर्वरीपति:।
किल्किलारावसंत्रस्तभूतप्रेतपिशाचक:॥47॥
366.पुण्यश्लोक: - पुण्यकीर्तिवाले ।
367.पुराराति: - पुरनामक राक्षस के शत्रु शिवस्वरूप ।
368.ज्योतिष्मान्: - ज्योति:स्वरूप ।
369.शर्वरीपति: - चन्द्रस्वरूप ।
370.किल्किलाराव सन्त्रस्त भूत प्रेत पिशाच: - किल-किल शब्दसे भूत-प्रेत- पिशाचादिको संत्रस्त करनेवाले ।
ऋणत्रयहर: सूक्ष्म: स्थूल: सर्वगति: पुमान्।
अपस्मारहर: स्मर्ता श्रुतिर्गाथा स्मृतिर्मनु:॥48॥
371.ऋणत्रयहर: - भक्तोंके तीनों ऋणों को हरनेवाले ।
372.सूक्ष्म: - सूक्ष्मस्वरूप ।
373.स्थूल: - स्थूलस्वरूप ।
374.सर्वगति: - सर्वत्र गतिवाले ।
375.पुमान्: - पुरुषार्थी ।
376.अपस्मारहर: - अपस्मार (मिरगीरोग ) को हरने वाले ।
377.स्मर्ता: - भगवान् का स्मरण करनेवाले ।
378.श्रुति: - वेदस्वरूप ।
379.गाथा: - स्तोत्रस्वरूप ।
380.स्मृति: - स्मृतिस्वरूप ।
381.मनु: - मंत्रस्वरूप ।
स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं यतीश्वर:।
नादरूप: परं ब्रह्म ब्रह्म ब्रह्मपुरातन:॥49॥

382.स्वर्गद्वारम्: - स्वर्ग के द्वारस्वरूप ।
383.प्रजाद्वार: - प्रजा अर्थात् संतति प्रदान करनेवाले ।
384.मोक्षद्वार: - मोक्ष प्रदान करनेवाले ।
385.यतीश्वर: - सन्यम करनेवालों में अतिश्रेष्ठ ।
386.नादरूप: - नाद-ब्रह्मस्वरूप ।
387.परम: - मोक्षस्वरूप।
388.परब्रह्म: - परब्रह्मस्वरूप
389.ब्रह्म: - सर्वव्यापक ।
390.ब्रह्मपुरातन: - आदिकारणरूप पुरातन ब्रह्म ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
एक बार गोस्वामी तुलसीदासजी बहुत बीमार हो गये । भुजाओं में वात-व्याधि की गहरी पीड़ा और फोड़े-फुंसियों के कारण सारा उनका शरीर वेदना का स्थान-सा बन गया था। उन्होंने औषधि, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये, किन्तु यह रोग घटने के बदले दिनों दिन बढ़ता ही जाता था। Read More
बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More