सहस्त्रनाम पाठ
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बृहज्जानुर्बृहत्कार्यो बृहत्पुच्छो बृहत्कर:।
बृहद्गतिर्बृहत्सेव्यो बृहल्लोकफलप्रद:॥53॥
418.बृहज्जानु: - बड़े घुटनोंवाले ।
419.बृहत्कार्य: - महान् कार्य करनेवाले ।
420.बृहत्पुच्छ: - लम्बी पूँछवाले ।
421.बृहत्कर: - लम्बे हाथोंवाले ।
422.बृहद्गति: - तीव्र गतिवाले ।
423.बृहत्सेव्य: - महापुरुषों के द्वारा सेव्य ।
424.बृहल्लोक फलप्रद: - सम्पूर्ण लोकरूप फल देनेवाले ।
बृहच्छक्तिर्बृहद्वाञ्छाफलदो बृहदीश्वर:।
बृहल्लोकनुतो द्रष्टा विद्यादाता जगद्गुरु:॥54॥
425.बृहच्छक्ति: - महान् शक्तिशाली ।
426.बृहद्वाञ्छाफलद: - बड़ी-बड़ी इच्छाओं को पूर्ण करनेवाले ।
427.बृहदीश्वर: - महान् सामर्थ्यवान ।
428.बृहल्लोकनुत: - असंख्य लोगोंके द्वारा नमस्कृत ।
429.द्रष्टा: - शुभाशुभ कर्मों को देखनेवाले ।
430.विद्यादाता: - विद्या प्रदान करनेवाले ।
431.जगद्गुरु: - जगत् को सन्मार्ग में लगानेवाले गुरु ।
देवाचार्य: सत्यवादी ब्रह्मवादी कलाधर:।
सप्तपातालगामी च मलयाचलसंश्रय:॥55॥
432.देवाचार्य: - देवताओं के आचार्य ।
433.सत्यवादी: - सत्य बोलनेवाले ।
434.ब्रह्मवादी: - ब्रह्म (परमात्म ) – विषयक विवेचन करनेवाले ।
435.कलाधर: - कलाओं के ज्ञाता ।
436.सप्तपातालगामी: - सातों पातालोंमें विचरण करनेवाले ।
437.मलयाचल संश्रय: - मलयगिरिपर निवास करनेवाले ।
उत्तराशास्थित: श्रीदो दिव्यौषधिवश: खग:।
शाखामृग: कपीन्द्रोऽथ पुराणश्रुतिचञ्चुर:॥56॥

438.उत्तराशास्थित: - उत्तर दिशा में स्थित ।
439.श्रीद: - शोभा ( ऐश्वर्य ) प्रदान करनेवाले ।
440.दिव्यौषधिवश: - दिव्य औषधियों को वशीभूत करनेवाले ।
441.खग: - नभोमण्डल में विचरण करनेवाले ।
442.शाखामृग: - शाखाओं पर कूदनेवाले ।
443.कपीन्द्र: - वानरों के अधिपति ।
444.पुराण श्रुतिचञ्चुर: - श्रुति और पुराण की विशेष जानकारी रखनेवाले ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
एक बार गोस्वामी तुलसीदासजी बहुत बीमार हो गये । भुजाओं में वात-व्याधि की गहरी पीड़ा और फोड़े-फुंसियों के कारण सारा उनका शरीर वेदना का स्थान-सा बन गया था। उन्होंने औषधि, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये, किन्तु यह रोग घटने के बदले दिनों दिन बढ़ता ही जाता था। Read More
बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More