सहस्त्रनाम पाठ
Page 29 / 52

चतुरब्राह्मणो योगी योगगम्य: परावर:।
अनादिनिधनो व्यासो वैकुण्ठ: पृथ्वीपति:॥57॥
445.चतुर ब्राह्मण: - निपुण ब्राह्मणस्वरूप ।
446.योगी: - योगसिद्ध ।
447.योगगम्य: - योगाभ्यास के द्वारा प्राप्त होनेवाले ।
448.परावर: - विश्व के आदि और अंतस्वरूप ।
449.अनादिनिधन: - आदि-अंत से रहित ।
450.व्यास: - वेदों का विस्तार करनेवाले ।
451.वैकुण्ठ: - माया के प्रभाव से रहित
452.पृथिवीपति: - भूलोक के रक्षक ।
अपराजितो जिताराति: सदानन्दो दयायुत:।
गोपालो गोपतिर्गोप्ता कलिकालपराशर:॥58॥
453.अपराजित: - शत्रुओं के द्वारा अजेय ।
454.जिताराति: - शत्रुओं को जीतनेवाले ।
455.सदानन्द: - सदा आनंदित रहनेवाले ।
456.दयायुत: - दयालु ।
457.गोपाल: - पृथ्वीका पालन करनेवाले ।
458.गोपति: - इन्द्रियों के स्वामी ।
459.गोप्ता: - भक्तों के रक्षक ।
460.कलिकाल पराशर: - कलिकाल के पराशर अर्थात् कथा वाचकों के उत्पादक ।
मनोवेगी सदायोगी संसारभयनाशन:।
तत्वदाताथ तत्वज्ञस्तत्वं तत्वप्रकाशक:॥59॥
461.मनोवेगी: - मन के समान वेगवाले ।
462.सदायोगी: - सदा योगयुक्त रहनेवाले ।
463.संसार भय नाशन: - भवभय का नाश करनेवाले ।
464.तत्त्वदाता: - तत्वज्ञान के दाता ।
465.तत्त्वज्ञ: - तत्वज्ञानी ।
466.तत्त्वम्: - ब्रह्मस्वरूप ।
467.तत्त्व प्रकाश: - तत्व का प्रकाश करनेवाले ।
शुद्धो बुद्धो नित्यमुक्तोभक्तराजो जयद्रथ:।
प्रलयोऽमितमायश्च मायातीतो विमत्सर:॥60॥
468.शुद्ध: - सबको पवित्र करनेवाले ।
469.बुद्ध: - ज्ञानवान् ।
470.नित्यमुक्त: - सदा मुक्तस्वरूप ।
471.भक्तराज: - भगवद्भक्तों में देदीप्यमान ।
472.जयद्रथ: - आक्रमण में जय प्राप्त करनेवाले ।
473.प्रलय: - शत्रुओं के लिये प्रलयंकर ।
474.अमितमाय: - अनंत माया जाननेवाले ।
475.मायातीत: - सर्वथा मायाजाल से रहित ।
476.विमत्सर: - ईर्ष्या से रहित्।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
एक बार गोस्वामी तुलसीदासजी बहुत बीमार हो गये । भुजाओं में वात-व्याधि की गहरी पीड़ा और फोड़े-फुंसियों के कारण सारा उनका शरीर वेदना का स्थान-सा बन गया था। उन्होंने औषधि, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये, किन्तु यह रोग घटने के बदले दिनों दिन बढ़ता ही जाता था। Read More
बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More