सहस्त्रनाम पाठ
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चतुर्भुजो दशभुजो हयग्रीव: खगानन:।
कपिवक्त्र: कपिपतिर्नरसिंहो महाद्युति:॥64॥
497.चतुर्भुज: - चार भुजावाले ।
498.दशभुज: - दस भुजावाले ।
499.हयग्रीव: - अश्व के समान गर्दंवाले ।
500.खगानन: - गरुड़के समान मुखवाले ।
501.कपिवक्त्र: - कपि-सदृश मुखवाले ।
502.कपिपति: - वानरों की रक्षा करनेवाले ।
503.नरसिंह: - नरसिन्ह के समान विकराल रूप धारण करनेवाले ।
504. महाद्युति: - अत्यंत तेजस्वी ।
भीषणो भावेगो वंद्यो वराहो वायुरूपधृक्।
लक्ष्मणप्राणदाता च पराजितदशानन:॥65॥
505.भीषण: - युद्ध में भयंकररूप ।
506.भावग: - भगवद्भाव को प्राप्त।
507.वन्द्य: - वंदना करने योग्य ।
508.वराह: - वराह – मुखवाले ।
509.वायुरूपधृक्: - वायु का रूप धारण करनेवाले ।
510.लक्ष्मण प्राणदाता: - लक्ष्मण को ( संजीवनी लाकर ) जिलानेवाले ।
511.पराजित दशानन: - दशानन (रावण ) – को पराजित करनेवाले ।
पारिजातनिवासी च वटुर्वचनकोविद:।
सुरसास्यविनिर्मुक्त: सिंहिकाप्राणहारक:॥66॥

512.पारिजात निवासी: - पारिजात वृक्ष के नीचे निवास करनेवाले ।
513.वटु: - ब्रह्मचारीस्वरूप
514.वचन कोविद: - बोलने में अति चतुर ।
515.सुरसास्यविनिर्मुक्त: - सुरसा के मुख से सुखपूर्वक निकल आनेवाले ।
516.सिंहिका प्राणहारक: - सिंहि का राक्षसी का प्राण हरनेवाले ।
लंकालंकारविध्वंसी वृषदंशकरूपधृक्।
रात्रिसंचारकुशलो रात्रिंचरगृहाग्निद:॥67॥
517.लङ्कालङ्कारविध्वंसी: - लंका की शोभा को नष्ट करनेवाले ।
518.वृषदंशकरूपधृक्: - वृषदंशक अर्थात् विडाल का रूप धारण करनेवाले ।
519.रात्रिसंचार कुशल: - रात में घूमने में चतुर ।
520.रात्रिंचरगृहाग्निद: - राक्षसों के घरों में आग लगानेवाले ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
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बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More