सहस्त्रनाम पाठ
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पावन: पवन: कांतो भज्ताग:सहनो बली।
मेघनादरिपुर्मेघनादसंहतराक्षस:॥105॥
796.पावन: - पवित्र करनेवाले ।
797.पवन: - वायुरूप ।
798.कान्ता: - कांतिमान् ।
799.भक्तागःसहन: - भक्तों के अपराधों को सहन करनेवाले ।
800.बली: - बलवान्।
801.मेघनादरिपु: - मेघनाद के शत्रु ।
802.मेघनादसंहतराक्षस: - जिनकी मेघ – तुल्य गर्जना से राक्षस नष्ट हो जाते हैं ।
क्षरोऽक्षरो विनीतात्मा वानरेश: सतां गति:।
श्रीकण्ठ: शितिकण्ठश्च सहाय: सहनायक:॥106॥
803.क्षर: - प्रकृतिकार्यस्वरूप ।
804.अक्षर: - अविनाशी आत्मस्वरूप ।
805.विनीतात्मा: - विनम्र –स्वभाव ।
806.वानरेश: - वानरों के ईश ।
807.सताङ्गति: - संतों की गति ।
808.श्रीकण्ठ: - शोभायमान कण्ठवाले ।
809.शितिकण्ठ: - नीलकण्ठ भगवान् शंकरस्वरूप ।
810.सहाय: - सहायता करनेवाले ।
811.सहनायक: - अपने स्वामी श्रीराम के साथ रहनेवाले ।
अस्थूलस्त्वनणुर्भगो दिव्य: संसृतिनाशन: ।
अध्यात्मविद्यासारश्च हृध्यात्मकुशल: सुधी:॥107॥
812.अस्थूल: - सूक्ष्मस्वरूप ।
813.अनणु: - महान् ।
814.भर्ग: - आभायुक्त ।
815.दिव्य: - दिव्यरूपधारी ।
816.संसृतिनाशन: - भवबंधन को मिटानेवाले ।
817.अध्यात्म विद्यासार: - अध्यात्मविद्या के सार-तत्व ।
818.अध्यात्म कुशल: - अध्यात्मविद्या में कुशल।
819.सुधी: - सुंदर बुद्धिवाले ।

अकल्मष: सत्यहेतु: सत्यद: सत्यगोचर:।
सत्यगर्भ: सत्यरूप: सत्य: सत्यपराक्रम: ॥108॥
820.अकल्मष: - निष्पाप ।
821.सत्यहेतु: - सत्यस्वरूप परमात्मा की प्राप्ति करानेवले ।
822.सत्यद: - सत्य प्रदान करनेवाले ।
823.सत्यगोचर: - सत्य से दृष्टिगोचर होनेवाले ।
824.सत्यगर्भ: - सत्य आशयवाले
825.सत्यरूप: - सत्य ( प्रशस्त ‌) रूप –सौंदर्य से युक्त ।
826.सत्य: - सत्यस्वरूप ।
827.सत्यपराक्रम: - जिनका पराक्रम निष्फल नहीं होता ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
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बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More