सहस्त्रनाम पाठ
Page 45 / 52

योगविद् योगकर्ता च योगयोनिर्दिगम्बर: ।
अकारादिहकारान्तवर्णनिर्मितविग्रह: ॥113॥
857.योगवित्: - योग के ज्ञाता ।
858.योगकर्ता: - योग को बनानेवाले ।
859.योग योनि: - योग की उत्पत्तिके कारण ।
860.दिगम्बर: - दिशारूपी वस्त्रधारी ।
861.अकारादिहकारान्तवर्णनिर्मित विग्रह: - सर्ववर्णस्वरूप ।
उलूखमुख: सिद्धसंस्तुत: प्रमथेश्वर: ।
श्लिष्टजङ्घ: स्लिष्टजानु: स्लिष्टपाणि: शिखाधर: ॥114॥
862.उलूखलमुख: - ओखली के समान मुखार-विंदवाले ।
863.सिद्धसंस्तुत: - सिद्धपुरुषों के दवारा जिनकी सम्यक् रीति से स्तुति होती है ।
864.प्रमयेश्वर: - भूतगणों के स्वामी ।
865.श्लिष्टजङ्घ: - सटी हुई जंघावाले ।
866.श्लिष्टजानु: - मिले हुए घुटनोंवाले ।
867.श्लिष्टपाणि: - मिले हुए हाथोंवाले ।
868.शिखाधर: - चोटी धारण करनेवाले ।
सुशर्मामितशर्मा च नारायणपरायण:।
जिष्णुर्भविष्णु रोचिष्णुर्ग्रसिष्णु: स्थाणुरेव च ॥115॥
869.सुशर्मा: - सुंदर सुख देनेवाले ।
870.अमितशर्मा: - असीम सुख देनेवाले ।
871.नारायण परायण: - भगवान् नारायण में लीन रहनेवाले ।
872.जिष्णु: -जीतनेवाले ।
873.भविष्णु: - भविष्य में होनेवाले ।
874.रोचिष्णु: - कांतिमान्।
875.ग्रसिष्णु: - सर्वसन्हार करनेवाले शिवस्वरूप ।
876.स्थाणु: - स्थिर रहनेवाले ।

हरिरुद्रानुसेकोऽथ कम्पनो भूमिकम्पन:।
गुणप्रवाह: सूत्रात्मा वीतरागस्तुतिप्रिय:॥116।
877.हरिरुद्रानुसेक: - भगवान् विष्णु और शंकर का अभिषेक करनेवाले ।
878.कम्पन: - शत्रुओं को कम्पित करनेवाले ।
879.भूमिकम्पन: - पृथ्वी को कम्पित करनेवाले ।
880.गुण प्रवाह: - गुणों के प्रवाह अर्थात् सर्वगुणसमपन्न ।
881.सूत्रात्मा: - यज्ञोपवीतधारी ।
882.वीतराग स्तुतिप्रिय: - वीतराग पुरुष के द्वारा की गयी स्तुति जिन्हें प्रिय लगती है ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
एक बार गोस्वामी तुलसीदासजी बहुत बीमार हो गये । भुजाओं में वात-व्याधि की गहरी पीड़ा और फोड़े-फुंसियों के कारण सारा उनका शरीर वेदना का स्थान-सा बन गया था। उन्होंने औषधि, यन्त्र, मन्त्र, त्रोटक आदि अनेक उपाय किये, किन्तु यह रोग घटने के बदले दिनों दिन बढ़ता ही जाता था। Read More
बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More