सहस्त्रनाम पाठ
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नागकन्याभयध्वंसी रुक्मवर्ण: कपालभृत् ।
अनाकुलो भवोपायोऽनपायो वेदपारग:॥117॥
883.नागकन्याभयध्वंसी: - नागकन्याओं के भय का ध्वंस करनेवाले ।
884.रुक्मवर्ण: - सुवर्ण के समान वर्णवाले ।
885.कपालभृत: - कपाल धारण करनेवाले ।
886.अनाकुल: - व्यग्रतारहित ।
887.भवोपाय: - भवसागर पार करने के लिये उपायरूप ।
888.अनपाय: - भगवान् श्रीराम से कभी वियुक्त न होनेवाले ।
889.वेदपारग: - वेदों में पारंगत ।
अक्षर: पुरुषो लोकनाथ ऋक्षप्रभुर्दृढ़:।
अष्टाङ्गयोगफलभुक् सत्यसंध: पुरुष्टुत:॥118॥
890.अक्षर: - अविनाशी ।
891.पुरुष: - बुद्धिरूपी पुरी में सोनेवाले ।
892.लोकनाथ: - सम्पूर्ण लोकों के स्वामी ।
893.ऋक्षःप्रभु: -नक्षत्रों के स्वामी अर्थात् चंद्रस्वरूप ।
894.दृढ: - हृष्ट – पुष्ट शरीर ।
895.अष्टाङ्गयोगफलभुक्: - अष्टाङ्गयोग के फलका उपभोग करनेवाले ।
896.सत्यसन्घ: - दृढ़ मैत्रीवाले ।
897.पुरुष्टुत: - - देवताओं के द्वारा संस्तुत ।
श्मशानस्थाननिलय: प्रेताविद्रावणक्षम:।
पञ्चाक्षरपर: पञ्चमातृको रञ्जनध्वज:॥119॥
898.श्मशानस्थाननिलय: - श्मशान में निवास करनेवाले ।
899.प्रेतविद्रावणक्षम: - प्रेत को तुरंत भगाने में समर्थ ।
900.पञ्चाक्षरपर: - ‘ नम : शिवाय ’ इस प्रधान पञ्चाक्षर मंत्र को जपनेवाले ।
901.पञ्चमातृक: - सीता, उर्मिला , माण्डवी ,श्रुतिकीर्ति और अंजना – इन पाँच माताओंवाले ।
902.रञ्जनध़्वज: - लाल रंग की ध्वजावाले ।
योगिनीवृन्दवन्द्यश्री: शत्रुघ्नोऽनन्तविक्रम: ।
ब्रह्मचारीन्द्रियरिपुर्धृतदण्डो दशात्मक:॥120॥


903.योगिनीवृन्द वन्द्य श्री: - योगिनीवृन्द के द्वारा वन्दनीय शोभास्वरूप।
904.शत्रुघ्न: - शत्रुओं को हनन करनेवाले ।।
905.अनन्त विक्रम: - अपार पराक्रमशाली ।
906.ब्रह्मचारी: - ब्रह्म में विचरण करनेवाले ।
907.इन्द्रियरिपु: - इंद्रियों के शत्रु अर्थात् जितेंद्रिय ।
908.धृतदण्ड: - दण्दधारी ( गदाधारी )।
909.दशात्मक: - दशावतारस्वरूप ।

हनुमान साठिका (HANUMAN SATHIKA)
हनुमान साठिका का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सारी जिंदगी किसी भी संकट से सामना नहीं करना पड़ता । उसकी सभी कठिनाईयाँ एवं बाधाएँ श्री हनुमान जी आने के पहले हीं दूर कर देते हैं। हर प्रकार के रोग दूर हो जाती हैं तथा कोई भी शत्रु उस मनुष्य के सामने नहीं टिक पाता । Read More

हनुमान बाहुक (HANUMAN BAHUK)
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बजरंग बाण पाठ महात्मय
श्री बजरंग बाण- बजरंग बाण तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित हनुमान जी का पाठ है । बजरंग बाण यानि की भगवान महावीर हनुमान रूपी बाण जिसके प्रयोग से हमारी सभी तरह की विपदाओं, दु:ख, रोग, शत्रु का नाश हो जाता है।Read More
श्री हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्रम (HANUMAN SAHASRANAMAM STOTRAM)
जो भी मनुष्य सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है। प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । Read More