राम रक्षा स्तोत्रम पाठ आरम्भ
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।। अथ श्रीरामरक्षा स्तोत्रम्‌ ।।
।। विनियोग:।।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषि: श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप्‌ छन्द: सीता शक्ति: श्रीमान् हनुमान्‌ कीलकम्‌ श्रीरामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्र जपे विनियोग: ॥

।। अथ ध्यानम्‌ ।।

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं ।
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥
वामाङ्‌कारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचंद्रम्‌ ॥

।। इति ध्यानम्‌ ।।

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥

अर्थ:- श्री रघुनाथजी का चरित्र सौ करोड़ विस्तार वाला हैं और उसका एक-एक अक्षर भी मनुष्यों के महान् पापों कों को नष्ट करने वाला है ॥१॥

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